भारत शान पुरस्कार विजेता डॉ. परमप्रीत सिंह नागपाल: रोबोटिक सर्जरी में भारत का गौरव
(फीचर्ड इन डेली हंट)
नई दिल्ली: भारतीय चिकित्सा जगत में एक नया इतिहास रचते हुए, प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. परमप्रीत सिंह नागपाल को इस वर्ष के प्रतिष्ठित "भारत शान पुरस्कार" से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें रोबोटिक घुटना प्रतिस्थापन (रिप्लेसमेंट सर्जरी) के क्षेत्र में किए गए क्रांतिकारी शोध, तकनीकी नवाचार और समाज के प्रति समर्पित सेवाओं को देखते हुए प्रदान किया गया।
पुरस्कार समारोह में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने डॉ. नागपाल को सम्मानित करते हुए उन्हें "नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा" और "भारतीय चिकित्सा विज्ञान का मसीहा" बताया।

भारत शान पुरस्कार: देश का सर्वोच्च चिकित्सा सम्मान
यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने चिकित्सा विज्ञान, प्रौद्योगिकी या समाज सेवा के माध्यम से भारत की गरिमा को वैश्विक स्तर पर उजागर किया हो। पुरस्कार समिति ने डॉ. नागपाल के कार्यों को "21वीं सदी की सबसे बड़ी चिकित्सीय उपलब्धियों में से एक" करार दिया। उनकी अगुआई में विकसित AI-संचालित रोबोटिक सर्जरी प्रणाली ने न केवल भारत, बल्कि विदेशों में भी चिकित्सा विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया है।
रोबोटिक घुटना प्रतिस्थापन: डॉ. नागपाल की तकनीकी दृष्टि
भारत में लगभग 10 करोड़ लोग घुटने के गठिया (आर्थराइटिस), चोटों या उम्र संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं। पारंपरिक सर्जरी में घुटने के प्रोस्थेटिक (कृत्रिम जोड़) को फिट करने के लिए हड्डियों को काटा जाता था, जिससे ऊतकों को नुकसान, लंबी रिकवरी और दर्द जैसी चुनौतियां थीं। डॉ. नागपाल ने इन समस्याओं का समाधान रोबोट-असिस्टेड सर्जरी के माध्यम से निकाला।
तकनीक की खासियत:
- 3D इमेजिंग और AI मैपिंग: मरीज के घुटने की हाई-रिज़ॉल्यूशन 3D इमेज बनाकर सर्जरी की योजना तैयार की जाती है।
- मिलीमीटर-एक्यूरेसी: रोबोटिक हाथ सर्जन को 0.5 मिलीमीटर की सटीकता से ऑपरेशन करने में सहायता करते हैं, जिससे स्वस्थ ऊतकों को नुकसान नहीं पहुंचता।
- कस्टमाइज्ड प्रोस्थेटिक: मरीज की शारीरिक संरचना के अनुरूप कृत्रिम घुटना डिज़ाइन किया जाता है।
- फास्ट रिकवरी: मरीज 24-48 घंटों में चलने-फिरने लायक हो जाता है, जबकि पुराने तरीकों में 6-8 हफ्ते लगते थे।
डॉ. नागपाल के अनुसार, "यह तकनीक सर्जरी को 'पर्सनलाइज्ड मेडिसिन' की ओर ले जाती है। हर मरीज का शरीर अलग होता है, और रोबोटिक सिस्टम इसी विविधता को समझता है।"
डॉ. नागपाल का सफर: साधारण शुरुआत से असाधारण मुकाम तक

दिल्ली के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे परमप्रीत ने बचपन से ही विज्ञान में गहरी रुचि दिखाई। उनके पिता एक सरकारी स्कूल में शिक्षक और माता गृहिणी थीं। मेडिकल की पढ़ाई के दौरान, उन्होंने देखा कि गरीब मरीज घुटने के ऑपरेशन के खर्चे नहीं उठा पाते या सर्जरी के बाद लंबे समय तक काम नहीं कर पाते। यहीं से उन्होंने "सस्ती, सटीक और सुलभ" चिकित्सा तकनीक विकसित करने का संकल्प लिया।
शैक्षणिक और पेशेवर यात्रा:
- एम्स, दिल्ली से ऑर्थोपेडिक्स में एमएस
- जर्मनी के हैम्बर्ग स्थित यूनिवर्सिटी क्लिनिकम में रोबोटिक सर्जरी में विशेष प्रशिक्षण
- अमेरिका के मेयो क्लिनिक में ऑर्थोपेडिक रोबोटिक्स पर रिसर्च
- 2015 में भारत लौटकर दिल्ली के प्रमुख अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी यूनिट की स्थापना
आज, डॉ. नागपाल 1,800 से अधिक रोबोटिक सर्जरी सफलतापूर्वक कर चुके हैं और उनकी टीम ने इस क्षेत्र में 12 राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट हासिल किए हैं।
ग्रामीण भारत की सेवा: मोबाइल रोबोटिक यूनिट
डॉ. नागपाल का मानना है कि उन्नत चिकित्सा तकनीकें केवल महानगरों तक सीमित न रहें। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने "हेल्थ ऑन व्हील्स" नामक मोबाइल यूनिट शुरू की, जो देश के दूरदराज़ के इलाकों में जाकर मरीजों का नि:शुल्क इलाज करती है।
प्रमुख पहल:
- राजस्थान के बाड़मेर में 450 से अधिक मरीजों का सफल ऑपरेशन
- झारखंड के गुमला जिले में आदिवासी समुदाय के लिए विशेष शिविर
- उत्तराखंड के पहाड़ी गांवों में फिजियोथेरेपी और पोस्ट-ऑप केयर की सुविधा
इस पहल के बारे में डॉ. नागपाल कहते हैं, "एक ग्रामीण महिला, जो 20 साल से घुटने के दर्द से जूझ रही थी, आज खेतों में काम करती है। यही सच्चा पुरस्कार है।"
भविष्य की परियोजनाएं: सस्ती तकनीक, बड़ा प्रभाव
डॉ. नागपाल अब "देशी रोबोटिक सर्जरी किट" विकसित करने में जुटे हैं, जिसका उद्देश्य इस तकनीक को छोटे शहरों और गांवों तक पहुंचाना है। इसकी प्रमुख विशेषताएं होंगी:
- लागत: मौजूदा सिस्टम से 70% सस्ती
- ऑटोमेटेड 3D स्कैनिंग: स्मार्टफोन ऐप के साथ इंटीग्रेटेड
- ऑफलाइन कार्यक्षमता: इंटरनेट के बिना भी उपयोग योग्य
इसके साथ ही, वह "रोबोटिक सर्जरी ट्रेनिंग एकेडमी" स्थापित करने की योजना बना रहे हैं, जहां ग्रामीण डॉक्टरों को नवीनतम तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
निष्कर्ष: एक युगदृष्टा की अमिट छाप
डॉ. परमप्रीत सिंह नागपाल का यह पुरस्कार केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि भारत की उस सामूहिक चेतना का प्रतीक है जो विज्ञान और मानवता का संगम चाहती है। उनका संदेश स्पष्ट है: "तकनीक तभी सार्थक है जब वह समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।"
डेली हंट पर विशेष:
हमें गर्व है कि डेली हंट ने डॉ. नागपाल की इस प्रेरणादायक यात्रा को अपने प्लेटफॉर्म पर प्रमुखता से स्थान दिया है। पूरा आर्टिकल यहाँ पढ़ें: Daily Hunt लेख